पट्टीकल्याणा में रातभर गूंजते रहे भगवान वाल्मीकि के जयकारें
*पट्टीकल्याणा में धूम धाम से मनाया गया बाबा शिवशाह का जन्मोत्सव व झंड़ा रस्म समारोह*
समाज की उन्नति के लिए बच्चों का शिक्षित होना जरूरी: बलबीर वाल्मीकि
विनोद लाहोट। समालखा
वाल्मीकि समाज के संत बाबा शिवशाह महाराज जी के जन्मोत्सव पर पट्टीकल्याणा गांव में स्थित प्राचीन वाल्मीकि मंदिर का वार्षिक झंडा उत्सव शनिवार सुबह प्रसाद वितरण के साथ सम्पन्न हुआ। इस दो दिवसीय झंडा रस्म समारोह का आगाज शुक्रवार शाम को हुआ। प्राचीन वाल्मीकि मंदिर पर रात भर सतसंग का आयोजन हुआ जिसमें सतसंग के प्रचारियो व भजन गायकों द्वारा सारी रात भगवान वाल्मीकि का गुणगान किया गया।पूरी रात भगवान वाल्मीकि के जयकारे गूंजते रहे।
सतसंग समारोह में पहुंचे इसराना के कांग्रेस विधायक बलबीर वाल्मीकि ने समाज को संबोधित करते हुए कहां कि आज वे जिस भी मुकाम पर हैं समाज के कारण है। उन्होंने बच्चों को शिक्षित करने का आह्वान करते हुए कहा कि समाज को अंधविश्वास से दूर रहकर अपने बच्चों को पढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए। इसके बाद विधायक बलबीर वाल्मीकि ने महावटी रोड पर धर्म गुरू ओ की समाधियों पर मत्था टेका। इस मौके पर समालखा विधायक धर्म सिंह छौक्कर के छोटे भाई कंवर सिंह छौक्कर ने भी वाल्मीकि मंदिर पर पहुंच कर आयोजकों को हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया।
पट्टीकल्याणा में आयोजित होने वाले इस विशाल झंडा रस्म समारोह की आयोजन समिति के महासचिव तिलक राज सारसर व सतसंग के महन्त हरिराम ने बताया कि 1927 में शुरू हुई यह झंडा रस्म समारोह प्रत्येक वर्ष अषाढ़ मास के प्रथम शुक्रवार -शनिवार को मनाया जाता है। यहां महावटी रोड स्थित समाज के महान संत बाबा शिवशाह महाराज, बाबा नेकी शाह व बाबा कंवल शाह महाराज की समाधियां बनी हुई है जहां पर दिल्ली हरियाणा सहित देश के कोने कोने से हजारों की संख्या में श्रद्धालु आकर अपने धर्म गुरू ओ की समाधियों पर मत्था टेक कर पूजा अर्चना करते हैं तथा अपने परिवार की खुशहाली की दुवाये मांगते हैं। सतसंग के प्रचारी हरिलाल व सूरत सिंह के अलावा भजन गायकों ने रातभर भगवान वाल्मीकि के भजनों से सतसंग को निहाल किया
। दिल्ली से आये डॉ जोगिंदर सूद ने हर साल की तरह श्रद्धालुओं की सेवा के लिए निःशुल्क चिकित्सा कैम्प लगाया।
झंड़ा रस्म समारोह में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं के आने से आयोजकों के इंतजाम भी बोलने साबित हुए बावजूद इसके श्रद्धालुओं
का उत्साह गजब का देखा गया।
आस्था इतनी गूढ़ कि जिसको रात में जहां भी जगह मिली खेत खलिहानों व सड़क किनारे लेट कर रात गुजारी और सुबह प्रसाद ग्रहण कर अपने घरों को प्रस्थान किया।