- निर्भया बेटी के बलात्कार और गुंडों को संरक्षण की भर्त्सना, आक्रोश में स्वास्थ्य सेवाएं पैरालाइज
- कोई और चारा नहीं : मरीजों को असुविधा के लिए खेद : इन्डियन मेडिकल एसोसिएशन
भिवानी , 17 अगस्त ।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन भिवानी और हरियाणा शाखा ने शांतिपूर्ण आंदोलन का रास्ता अपनाते हुए आज भिवानी जिले के सभी अस्पतालों को चौबीस घंटों हेतु बंद कर दिया । आक्रोशित चिकित्सकों का गुस्सा सातवें आसमान चढ़ कर बोला और स्थानीय लिब्रा गेस्ट हाउस में पूरे भिवानी जिले के डॉक्टरों ने चार घंटे तक विचार किया और आगे की रूपरेखा पर गहन मंथन किया । मीडिया को भी संबोधित किया । सभी ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल कोलकाता में हुए बर्बर कृत्य पर दुख और पीड़ा व्यक्त की । डेंटल आयुर्वेद होम्योपैथी के डॉक्टरों ने एक स्वर में सिस्टम की नाकामी के कारण युवा प्रशिक्षु डॉक्टर “निर्भया” की जान गई और जानबूझ कर कोई त्वरित कार्यवाही नहीं हुई । इसकी भर्त्सना की । भिवानी ब्रांच के प्रधान डॉक्टर नरेश कुमार गर्ग , सचिव डॉक्टर राज मेहता , हरियाणा राज्य ईकाई के पूर्व प्रधान डॉक्टर करन पूनिया ने बताया कि यह एक असहनीय पीड़ा है । इस अवसर पर डॉ शिवशंकर भारद्वाज, डॉ शिवकांत, डॉ मोनिका गोयल, डॉ चंचल धीर , डॉक्टर वंदना पूनिया , डॉ अजीत गुलिया तथा भिवानी के अलग अलग स्वास्थ्य से जुड़े संगठनों के लगभग 150 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया और सरकार की निष्क्रियता पर रोष प्रकट किया । मरीजों को असुविधा के लिए खेद प्रकट किया और साथ ही एक यक्ष प्रश्न समाज और मरीजों के लिए वक्ताओं ने खड़ा किया कि समाज को भी सोचना होगा कि गैंगरेप के साथ हत्या की शिकार लड़की उनकी भी बहन और बेटी थी । समाज क्यों मौन है ? क्यों सन्नाटा है ? क्या समाज के लिए यह कुकृत्य लाचार और बेबस आत्मा को श्रद्धांजलि देने लायक भी नहीं है ? डॉक्टरों ने सरकारों को और सिस्टम को इस बंद के द्वारा चेतावनी दी है ताकि भविष्य में ऐसा कृत्य किसी के द्वारा दोहराया न जा सके । वक्ताओं ने चेताया कि अब अनिश्चित बंद और उग्र आंदोलन करना पड़ सकता है । इसलिए केंद्र सरकार , सीबीआई और बंगाल सरकार को चेतावनी है और मांग है कि कोलकाता निर्भया को शीघ्र न्याय मिले । सीबीआई फास्ट ट्रैक आधार पर जांच पूरी करे और दोषियों को कानूनन शीघ्र से शीघ्र अधिकतम सजा दी जाए । केंद्र सरकार से चिकित्सा प्रतिष्ठानों और कर्मियों के खिलाफ हिंसा की रोकथाम कानून 2019 के मसौदे पर विचार करे और इसके लिए एक केंद्रीय कानून बनाए जिससे अस्पतालों में हिंसा में शामिल उपद्रवियों के खिलाफ त्वरित मामला दर्ज करके मुकदमा चलाना सुनिश्चित किया जा सके । साथ ही रेजिडेंट डॉक्टरों को तर्कसंगत ड्यूटी के घंटों के साथ मानवीय और सुरक्षित कामकाजी माहौल प्रदान किया जाना सुनिश्चित किया जाए ।