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10 साल बाद फिर से लौट रहा है लौट रहा है गठबंधनसरकारों का दौर

अटल बिहारी वाजपेयी सकरार के गिरने के बाद संयुक्त मोर्चा बना। एचडी देवगौड़ा के नेतृत्व वाले संयुक्त मोर्चे में जनता दल और तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के साथ-साथ वामपंथी और कम्युनिस्ट पार्टियां शामिल थीं। यह गठबंधन भी आपसी झगड़े के कारण बहुत दिनों तक नहीं चल पाया और देवगौड़ा की सरकार एक साल के भीतर ही गिर गई। इंद्र कुमार गुजराल ने उनकी जगह ली, लेकिन उनकी सरकार भी एक साल से ज्यादा नहीं चल सकी।

1998 में अटल ने 13 महीने की सरकार चलाई
1998 के लोकसभा चुनाव में देश ने एक बार फिर एक गठबंधन सरकार आई। 1998 के चुनावों में अटल बिहारी ने नेशनल डेमक्रेटिक अलायंस यानी एनडीए नाम से गठबंधन बनाया जिसमें शिवसेना और एआईएडीएमके) जैसी पार्टियां शामिल थीं। यह सरकार 13 महीने तक चली उसके बाद एआईएडीएमके ने समर्थन वापस ले लिया। इसके बाद नए सिरे से चुनाव हुए। इस चुनाव में भाजपा ने 182 सीटों पर जीत दर्ज की। 299 सदस्यों के समर्थन के साथ वाजपेयी ने तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। इस बार वाजपेयी सरकार ने अपना कार्यकाल पूरा किया। यह देश की पहली गठबंधन सरकार थी जिसने अपना कार्यकाल पूरा किया था।

2004-2014 तक यूपीए दो बार सत्ता में रहा
अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद 2004 में एनडीए को झटका लगा। इन चुनावों में सोनिया गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। इसके बाद संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) नाम से देश में एक नया गठबंधन बना। पहले यूपीए सरकार में मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री चुना गया जो वित्त मंत्री रह चुके थे।

 

हरियाणा के मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद ने प्रशासनिक सचिवों, सभी जिलों के उपायुक्तों तथा रबी-फ़सल की खरीद से संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि किसान की फ़सल का जे-फॉर्म काटने के 72 घकिया जाए। उन्होंने अनाज मंडियों से फसलों का समय पर उठान करने और किसानों की हर सुविधा का पूरा ख्याल रखने के भी निर्देश दिए।खाते कन्यूज़ में ईमेल नहीं आणि चाहिए पत्र कर का नाम आना चाहिए

Online Bhaskar
Author: Online Bhaskar

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