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SC/ST आरक्षण विभाजन में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय केंद्र सरकार अध्यादेश लाकर करें समाप्त : सूरजभान कटारिया

कुरुक्षेत्र । भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के अखिल भारतीय पूर्व उपाध्यक्ष एवं केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारीता मंत्रालय भारत सरकार के सदस्य रहे सूरज भान कटारिया ने आज कहा है की एस.सी./एस.टी. आरक्षण विभाजन में सुप्रीम कोर्ट निर्णय को केंद्र सरकार अध्यादेश लाकर समाप्त करने का कार्य करना चाहिए ताकि भारतीय संविधान के अनुसार समाज में एकता का प्रदर्शन बरकरार रहे।

कटारिया ने आज देशभर के एस.सी./एस.टी. समुदाय के प्रतिनिधि से आह्वान किया है की अनुसूचित जाति आरक्षण विभाजन को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को संसद द्वारा अध्यादेश जारी कराकर निरस्त कराने में एकजुटता दिखायें ! कटारिया ने आगे बताया आज दिल्ली संसद भवन में देशभर से एस.सी./एस.टी. समुदायों से संबंधित लोकसभा और राज्यसभा के भाजपा सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की।

सांसदों ने संयुक्त रूप से एस.सी./एस.टी. के लिए क्रीमी लेयर पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को लेकर एक ज्ञापन सौंपा और मांग की कि इस फैसले को हमारे समाज में लागू नहीं किया जाना चाहिए प्रधानमंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया कि वह इस मामले पर गंभीरता से संज्ञान लेंगे। कटारिया ने देशभर की राज्य सरकारों से भी आग्रह किया है कि इस मामले पर जल्दबाजी न करके संवैधानिक रूप से केंद्र सरकार के मार्गदर्शन में अंतिम निर्णय ले।

सूरज भान कटारिया ने एस.सी./एस.टी. सभी समुदायों के प्रतिनिधियों को आग्रह किया है की सुप्रीम कोर्ट का फैसला केवल नौकरियों तक ही सीमित नहीं है वह है समाज की एकता को टुकड़ों में बाँट देना, दूसरे उसमे क्रीमीलेयर तथा जिसे एक बार आरक्षण का लाभ मिल गया, उसे दोबारा नहीं मिलेगा सीधा कहे तो इस सन्दर्भ में देशभर में राजनैतिक आरक्षण के तहत जो एस.सी./एस.टी. समाज के लोग किसी भी पार्टी द्वारा विधानसभाओं में और देश की संसद में चुनकर गए हैं, दोबारा वह चुनाव नहीं लड़ पायेंगे क्योंकि एक बार उन्हें राजनैतिक आरक्षण का लाभ मिल चुका है !

लेकिन यह फैसला सामान्य वर्ग, अप्ल्संख्यक और फिलहाल ओबीसी वर्ग के राजनेताओं पर लागू नहीं होगा, हमें आपसी मतभेद मिटा कर जागरूक और सावधान होकर देश राष्ट्रीय हित में इस पर जरूर गंभीरता से सोचना होगा अतः एस.सी./एस.टी. वर्ग के प्रतिनिधि समाजहित में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को संसद द्वारा अध्यादेश जारी कराकर निरस्त कराने में एकजुटता दिखायें, अन्यथा देश के एस.सी./एस.टी. समाज के प्रति तथा भारत के संविधान के प्रति बड़ा धोखा होगा।

 

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