भाजपा के एक परिवार एक टिकट के सिद्धांत की निकली हवा
♠ईश्वर धामु(वरिष्ठपत्रकार एवं राजनीतिकविश्लेषक)
हरियाणा में तीसरी बार सरकार बनाने के लिए भाजपा ने सभी पूर्व निर्धारित नियमों को ताक पर रख छोड़ा है। एक समय में दलबदल को लेकर हंगामा करने वाली भाजपा अब खुद ही दलबदल को संरक्षण और प्रोत्साहन दे रही है। अभी इसका ताजा उदाहरण किरण चौधरी है, जिसको दल बदल कानून से बचाए रखने के लिए विधानसभा स्पीकर ने कथित रूप से सभी कायदे कानूनों को दरकिनार रखा। भाजपा के एक परिवार, एक टिकट के सिद्धांत की उसी के नेता हवा निकाल रहे हैं। सत्ता पाने के लिए भाजपा हर हथकंडा अपना रही है। कितनी बड़ी बात है कि केंद्रीय मंत्री राव इंदरजीत सिंह ने पार्टी पर अपनी बेटी की टिकट के लिए दबाव बनाने के लिए प्रधानमंत्री से मुलाकात का समय भी छोड़ दिया। राव इंदरजीत सिंह ने पिछले 2019 के चुनाव में भी अपनी बेटी आरती राव के लिए राजनैतिक प्रतिष्ठा दांव पर लगा दी थी। इस बार तो यह भी चर्चा चली कि अगर आरती राव को अटेली से भाजपा ने टिकट न दी तो वो कांग्रेस में शामिल होकर चुनाव लड़ेगी? अर्थात टिकट के लिए भाजपा पर पूरा दबाव बनाया गया। अब बताया गया है कि भाजपा इस बार आरती राव को चुनावी मैदान में उतार रही है। भाजपा को भय है कि राव की नाराजगी उनको दक्षिण हरियाणा में महंगी पड़ सकती है। इस बार तो राव समर्थको का कहना है कि राव इंदरजीत का करीब बीस सीटों पर प्रभाव है। इसमें अन्यों के अलावा हिसार, भिवानी, दादरी भी शामिल है। इन्ही की देखा देखी इस बार सांसद धर्मबीर सिंह अपने बेटे मोहित चौधरी के लिए भी टिकट मांग रहे हैं। पहले कहा जा रहा था ताकि वें तोशाम से अपने बेटे को टिकट दिलवायेंगे। पर ऐेन टाइम पर कांग्रेस को अलविदा कह कर किरण चौधरी भाजपा में चली गई। भाजपा ने भी किरण चौधरी का राज्यसभा में भेज कर गर्मजोशी से स्वागत किया। अब किरण चौधरी अपनी पूर्व सांसद बेटी श्रुति चौधरी के लिए अपनी सीट तोशाम से टिकट मांग रही है और इस टिकट को पक्का भी माना जा रहा है। ऐसे में सांसद धर्मबीर सिंह अपने बेटे के लिए दादरी, भिवानी, बाढड़ा या सोहना से टिकट चाह रहे हैं। क्योकि वें खुद एक चुनाव सोहना जीत चुके हैं। उस चुनाव में उनके बेटे मोहित चौधरी की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी। वहीं 2005 में वे बाढड़ा से भी कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीत चुके हैं। वहीं कुरूक्षेत्र से सांसद नवीन जिंदल भी अपनी माताश्री सावित्री जिंदल के लिए हिसार से भाजपा से टिकट की मांग कर रहे हैं। देश की अग्रणी धनाढ्य महिला श्रीमती सावित्री जिंदल हिसार से कांग्रेस की विधायक रह चुकी है और हुड्डा मंत्रिमंडल में मंत्री भी रही हैं। अब हिसार से मंत्री डॉक्टर कमल गुप्ता भाजपा के विधायक हैं। वहीं, फरीदाबाद से सांसद कृष्णपाल गुज्जर भी अपने बेटे के लिए टिकट चाह रहे हैं। भाजपा में नव आगंतुक कुलदीप बिश्रोई इस बार अपने बेटे के लिए आदमपुर से टिकट चाह रहे हैं।
उन्होने अपनी घरेलु सीट आदमपुर से त्यागपत्र देकर अपने बेटे भव्य बिश्रोई को विधायक तो बनवा दिया था। पर वें पूरे प्रयासों के बाद भी मंत्री नहीं बनवा पाएं। अब वें अपने बेटे के लिए आदमपुर से टिकट चाह रहे हैं। हालांकि लोकसभा चुनाव में रणजीत सिंह को भाजपा द्वारा उम्मीदवार बनाए जाने से कुलदीप बिश्रोई नाराज हो गए थे और उनके चुनाव में भी उन्होने देर से काम करना शुरू किया था। परिणाम यह रहा कि रणजीत सिंह आदमपुर से ही हार गए। वर्तमान राजनैतिक माहौल में भाजपा अपने ही बड़े नेता का दबाव मान रही है। क्योकि पार्टी के लिए एक सीट भी अब मायने रखती है। टिकटों को लेकर आरएसएस को भी भाजपा ने सत्ता के नाम पर सहमत कर लिया है। लगता है कि भाजपा ने अब सिद्धांतों के पिटारे को परे सरका दिया है और अपना पूरा ध्यान तीसरी बार सत्ता हासिल करने पर लगा दिया है। अब देखना होगा कि ऐेसे में भाजपा की रणनीति कितना बेड़ा पार लगाती है?