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सेलिब्रिटी उम्मीदवारों के लिए उपजाऊ नहीं है हरियाणा की राजनीतिक जमीन

चुनाव की गम गहमी के बीच राजनेता आपके आसपास वोट मांगते नजर आएं । हरियाणा की राजनीति का मैदान राजनीतिक रूप से मजे हुए नेताओं के लिए आसान आसान साबित होता है वही ऊपर से आए राजनीति से बाहर के सेलिब्रिटी लोगों के लिए यह राजनीतिक पिच उपजाऊ नहीं है पिछले अनुभव बताते हैं की खेल के मैदान से जो भी सेलिब्रिटी राजनीति में बैटिंग के लिए उतरे उन्हें ज्यादा सफलता नहीं मिली खासकर हरियाणा का मतदाता इस पर अपनी मोहर लगा चुका है। सोनाली फोगाट, सिनेमा स्टार राज बब्बर गायक उदल पुरिया हरियाणा के चुनावी रण में एकमात्र ओलंपियन संदीप सिंह चुनाव जीत कर मंत्रिमंडल में जगह बना पाए। बाकी सबको असफलता का मुंह देखना पड़ा हरियाणा में सेलिब्रिटी उम्मीदवारों को राजनीति में सक्रिय रूप से उतारने की प्रवृत्ति पिछले कुछ सालों में देखने को मिली है, लेकिन ऐसा देखा गया है कि राज्य के मतदाताओं ने ज्यादातर सेलिब्रिटी उम्मीदवारों को खारिज किया है। यह प्रवृत्ति राज्य की चुनावी प्रक्रिया और मतदाताओं के व्यवहार में एक दिलचस्प बदलाव को दर्शाती है।
हरियाणा का चुनावी परिदृश्य और सेलिब्रिटी उम्मीदवार
हरियाणा का राजनीतिक इतिहास क्षेत्रीय और राष्ट्रीय दलों के बीच प्रतिस्पर्धा का रहा है। जातीय समीकरण और ग्रामीण-शहरी विभाजन राज्य की राजनीति में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। कई बार राजनीतिक दलों ने फिल्म, खेल, और मनोरंजन की दुनिया से आए सेलिब्रिटी उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, इस उम्मीद से कि उनकी लोकप्रियता वोट बैंक में तब्दील हो जाएगी। विशेषकर 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनावों में, कई प्रमुख सेलिब्रिटी उम्मीदवार उतरे थे। उदाहरण के लिए, योगेश्वर दत्त (कुश्ती में ओलंपिक पदक विजेता) को बीजेपी ने बरौदा विधानसभा क्षेत्र से उतारा। इसके अलावा, टिकटॉक सेलिब्रिटी सोनाली फोगाट को भी 2019 के उपचुनावों में बीजेपी ने आदमपुर से उम्मीदवार बनाया। हालांकि, इन सेलिब्रिटी उम्मीदवारों को अपेक्षित समर्थन नहीं मिल सका।योगेश्वर दत्त (बरौदा, 2019): योगेश्वर दत्त ने बीजेपी के टिकट पर बरौदा से चुनाव लड़ा, लेकिन वह कांग्रेस के उम्मीदवार श्रीकृष्ण हुड्डा से हार गए। वही इदुराज से 2020 में उपचुनाव में हार का सामना करना पडा सोनाली फोगाट (आदमपुर, 2019 चुनाव): सोनाली फोगाट, जो एक सोशल मीडिया ,अभिनेत्री सेलिब्रिटी थीं, को भी हार का सामना करना पड़ा। मौजूदा समय में सफल अभिनेताओं में शामिल सेफ अली खान के पिता, और उस समय की सफल अभिनेत्री शर्मिला टैगौर के पति टाईगर पटौदी ने को गुडग़ांव लोकसभा से 1971 में विशाल हरियाणा पार्टी से चुनाव लडा लेकिन हार का सामना करना पड़ा वही 2024 में कांग्रेस ने अभिनेता राजबब्बर को मैदान में उतारा लेकिन हार का सामना करना पडा वही मशहूर गायक राहुल फजलपुरिया को जेजेपी ने उतारा उनको भी हार का सामना करना पडा, लो प्रोफाईल खिलाडी सदीप सिंह को 2019 में भाजपा ने उतारा वो जीत तो गए लेकिन कोच के साथ छेड़छाड़ के कारण विवादों में आ गए जिसके कारण 2024 में उनका टिकट काटन पडा।
हरियाणा के मतदाताओं के लिए स्थानीय मुद्दे और उम्मीदवार की जमीनी पकड़ अधिक महत्वपूर्ण साबित हुई है। जहां सेलिब्रिटी उम्मीदवार अपने स्टारडम और लोकप्रियता के सहारे प्रचार करते हैं, वहीं राज्य के मतदाता उम्मीदवारों की राजनीतिक सूझबूझ, क्षेत्रीय विकास के प्रति प्रतिबद्धता, और स्थानीय स्तर पर कामकाज को अधिक तवज्जो देते हैं।हरियाणा के चुनावी परिदृश्य में जातिगत समीकरणों और स्थानीय मुद्दों का भारी प्रभाव रहता है। मतदाता अक्सर ऐसे उम्मीदवारों को प्राथमिकता देते हैं जो उनकी जाति, समुदाय, और स्थानीय जरूरतों का बेहतर प्रतिनिधित्व करते हों। यह ट्रेंड हरियाणा के चुनावों में साफ देखा गया है, जहां परंपरागत राजनीतिक नेता या क्षेत्रीय प्रभावशाली व्यक्ति चुनावी जीत दर्ज करते हैं, जबकि सेलिब्रिटी उम्मीदवारों को असफलता का सामना करना पड़ता है। हरियाणा में सेलिब्रिटी उम्मीदवारों को खारिज करने की प्रवृत्ति यह बताती है कि राज्य के मतदाता केवल स्टारडम या लोकप्रियता पर वोट नहीं करते। उन्हें ऐसे नेता की आवश्यकता है जो क्षेत्रीय मुद्दों को समझ सके और जमीनी स्तर पर प्रभावी तरीके से काम कर सके। यह प्रवृत्ति आने वाले चुनावों में भी जारी रहने की संभावना है, जब तक कि सेलिब्रिटी उम्मीदवार जमीनी स्तर पर अपनी पकड़ और राजनीतिक कौशल साबित नहीं कर पाते।

Bhaskar
Author: Bhaskar

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