चंडीगढ़ : सेक्टर-17 स्थित साइबर क्राइम थाना पुलिस ने साइबर क्राइम रैकेट का भंडाफोड़ किया है। इसके तहत पुलिस ने पांच लोगों को गिरफ्तार किया है। इसमें फर्जी बैंक खाते खुलवाने वाले, बैंक कर्मचारी और होटल मैनेजर शामिल हैं। पुलिस ने उन्हें अदालत में पेश किया, जहां से पूछताछ के लिए उनको रिमांड पर लिया गया है। पुलिस पता लगाने का प्रयास कर रही है कि आरोपितों ने अब तक कितनी वारदात को अंजाम दे चुके हैं।
आनलाइन निवेश, डिजिटल अरेस्ट, स्क्रीन रिकार्डिंग, एस्कार्ट सर्विस और अन्य तरीकों लोगों को अपने जाल में फंसा कर उनसे साइबर ठगी करने वाले एक रैकेट के पांच सदस्यों को साइबर क्राइम थाना पुलिस ने गिरफ्तार किया है। आरोपितों की पहचान उत्तर प्रदेश के बहरामपुर निवासी देवेंदर यादव और शंकर सुवन शुक्ला उर्फ अभय शुक्ला, रामदरबार निवासी बरिंदर यादव, सेक्टर-22सी निवासी अविनाश और नई दिल्ली निवासी अंकित जैन के रूप में हुई है। ये आरोपित पिछले डेढ़ महीने से सेक्टर-52 स्थित होटल फ्रेंड्ज में रह रहे थे। वहीं होटल के रिशेप्शन रजिस्टर में उनकी एंट्री कहीं नहीं की गई थी। पुलिस ने आरोपितों से 14 मोबाइल, नौ सिम, 37 एटीएम कार्ड, दो लैपटाप, 14 चेकबुक और तीन मोहर बरामद की हैं।
देवेंदर यादव और शंकर सुवन शुक्ला उर्फ अभय शुक्ला गरीब और जरूरतमंद लोगों को लालच देकर बैंक में उनके खाते खुलवाते थे। उन बैंक खातों का प्रयोग लोगों के साथ ठगी में प्रयोग किया जाता था। आरोपितों से पूछताछ में इस तरह के फर्जी 700 बैंक खातों की जानकारी मिली है। इनमें से 100 बैंक खाते देशभर की अलग-अगल पुलिस द्वारा फ्रीज किए गए हैं। वहीं बरिंदर यादव होटल फ्रेंड्ज का मैनेजर है। उसने बिना कोई आइडी लिए आरोपितों को डेढ़ महीने तक होटल में ठहराया। अविनाश जैन सेक्टर-17 स्थित इंडियन बैंक का असिस्टेंट मैनेजर है। उसने बिना जांच किए लोगों के बैंक खाते खोलने में आरोपितों की मदद की। पांचवां आरोपित अंकित जैन ने 2023 में महादेव बैटिंग की फ्रेंचाइजी ली थी। उसने देवेंदर से बैंक खाते प्राप्त किए थे। उसके बाद उसने यह बैंक खाते दुबई में बैठे साइबर ठगी के हैंडलरों को बेच दिए थे।
10 हजार रुपये में खरीदते थे बैंक खाता
आरोपित शहर में रहने वाले गरीब लोगों को चिह्नित करते थे। इनमें मुख्य रूप से रेहड़ी-फड़ी लगाने वाले, आटो-रिक्शा चालक और छोटे वेंडर शामिल होते थे। उन्हें बैंक में खाता खुलवाने और किट उन्हें प्रदान करने के लिए 10 हजार रुपये दिए जाते थे। इन बैंक खातों को बैटिंग और साइबर क्राइम के मामलों में प्रयोग किया जाता था। ऐसे ही चंडीगढ़ के सात बैंक खातों की भी पुलिस ने पहचान की है।