राजेन्द्र कुमार
सिरसा, 29 जुलाई। श्री बाबा तारा चेरिटेबल ट्रस्ट सिरसा की ओर से रानियां रोड स्थित श्री तारकेश्वरम धाम में सत्संग स्थल में नानी बाई को मायरो का आयोजन किया गया। कथा वाचिका जयाकिशोरी के मुखारबिंद से कथा सुनकर श्रद्धालु भाव विभोर हो गए, कई अवसर ऐसे भी आए जहां लोगों की आंखें नम हो गई। सिरसा विधायक, पूर्व गृहराज्यमंत्री एवं हलोपा सुप्रीमो गोपाल कांडा, उनके अनुज श्री बाबा तारा जी कुटिया के मुख्य सेवक गोबिंद कांडा ने परिजनों के साथ पूजन और आरती की।
सिरसा, 29 जुलाई। श्री बाबा तारा चेरिटेबल ट्रस्ट सिरसा की ओर से रानियां रोड स्थित श्री तारकेश्वरम धाम में सत्संग स्थल में नानी बाई को मायरो का आयोजन किया गया। कथा वाचिका जयाकिशोरी के मुखारबिंद से कथा सुनकर श्रद्धालु भाव विभोर हो गए, कई अवसर ऐसे भी आए जहां लोगों की आंखें नम हो गई। सिरसा विधायक, पूर्व गृहराज्यमंत्री एवं हलोपा सुप्रीमो गोपाल कांडा, उनके अनुज श्री बाबा तारा जी कुटिया के मुख्य सेवक गोबिंद कांडा ने परिजनों के साथ पूजन और आरती की।
सोमवार को श्री तारकेश्वरम धाम स्थित सत्संग स्थल पर नानी बाई को मायरो कथा का आयोजन किया गया। कथावचिका जयाकिशोरी ने सबसे पहले श्री बाबा तारा जी की समाधि पर जाकर शीश नवाया और पूजन किया।धवल कांडा, धैर्य कांडा, पूनम सेठी भी उनके साथ पूजा की। सत्संग जहां पर जयाकिशोरी और गोबिंद कांडा ने बाबा तारा के चित्र के समक्ष ज्योति प्रज्जवलित की। जया किशोरी ने कथा व्यास पीठ की पूजा अर्चना की बाद में आसन पर विराजमान हुई।
सबसे पहले जयाकिशोरी ने गुरू वंदना करते हुए गोबिंदा नमो नम: गाया। इसके बाद उन्होंने भजन- श्री राधा गोबिंद मन भजले हरि का प्यारा नाम है, गोपाला हरि का प्यारा नाम है, नंदलाला हरि का प्यारा नाम है भजन प्रस्तुत किया तो तालियों के साथ श्रद्धालु झूम उठे।
उन्होंने कहा कि भोले नाथ की भक्ति में बहुत शक्ति है। भोले बाबा के आशीर्वाद से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। बाबा तारा जी भी भाले नाथ के परम भक्त थे। इसलिए तारकेश्वरम् धाम से कथा सुनने से दोहरा लाभ होता है। क्योंकि कुटिया परिसर श्री बाबा तारा की तपोस्थली है। कई भजनों के बाद उन्होंने नानीबाई को मायरो कथा शुरू की। जय किशोरी ने कहा कि प्रभु को बेगर्ज भक्ति रास आती है। अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए की गई भक्ति को भगवान कभी स्वीकार नहीं करते। उन्होंने कहा कि हमेशा भगवान की निष्काम भक्ति करती चाहिए। जो व्यक्ति प्रभु को बिना स्वार्थ याद करता है,
परमात्मा उनको किसी चीज की कमी नहीं रहने देते। उन्होंने श्री कृष्ण-सुदामा की मित्रता की कथा सुनाते हुए कहा कि असल मित्रता तो कृष्ण-सुदामा की थी। जिसमें कहीं भी ऊंच-नीच का भाव नहीं था।
संसार में मित्रता करनी हो तो कृष्ण-सुदामा जैसी करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि चक्रवर्ती सम्राट तक श्री कृष्ण से मांगने के लिए आए, परंतु सुदामा एक निर्धन व्यक्ति होते हुए भी उन्हें अपना प्रेम व स्नेह देने आए।
जय किशोरी ने श्री कृष्ण भक्त नरसी की जीवन गाथा सुनाते हुए कहा कि नरसी भक्त जन्म से ही गूंगे व बहरे थे। पैसे-पैसे को मोहताज थे। लेकिन उन्होंने कभी श्री कृष्ण जी भक्ति नहीं छोड़ी। इस अवसर पर जय किशोरी ने -थाली भरकर लाई रे खिचडो, ऊपर घी की बाटकी, जीमौ म्हारा श्याम जी जिमावै बेटी जाट की सारे जग का है वो रखवाला, मेरा भोला है सबसे निराला भजन प्रस्तुत किया। जिस पर पंडाल में उपस्थित महिलाएं झूमने लगी। उन्होंने शिव-पार्वती प्रसंग का वर्णन करते हुए क हा- पार्वती बोली भोले से ऐसा महल बनवा देना कोई भी देखे तो बोले क्या कहना भाई क्या कहना। उन्होंने कहा कि इसके बाद विश्वकर्मा जी ने सोने का सुंदर महल बनवाया और बा्रहमणों को बुलाकर गृहप्रवेश करवाया। उन्होंनें कहा कि अपने लिये कभी दुखी मत होना और दूसरो को लेकर कभी मत जलना क्योंकि प्रभु ने आपकी तकदीर में लो भी लिख दिया है उससे ज्यादा नहीं मिलेगा। उन्होंने नरसी के कई किस्से सुनाए।