गाँव मेहँदा हांसी की पंचायत में माननीय निदेशक अभियोजन श्री संजय हुड्डा व जिला न्यायवादी डॉ. दीपक लेघा रणजीत हिसार के आदेश पर तीन नए कानून में हुए संशोधन के बारे में श्रीमती नीलम राय, सहायक जिला न्यायवादी द्वारा भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 व भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023, इन तीन नए आपराधिक कानूनों में हुए संशोधनों पर जागरूक किया गया। साइबर क्राइम में इंटरनेट द्वारा होने वाले क्राइम व बचाव के बारे में विस्तार से बताया। एडवोकेट अनिल वर्मा ने भी तीन नए कानूनों के अन्य पहलुओं पर अपनी बात रखी। श्रीमती नीलम राय ने विस्तार से बताया कि तीन नए आपराधिक कानून, अर्थात् भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, के आने से भारत की न्याय प्रणाली में क्रांति आ गई है। 1 जुलाई, 2024 भारतीय न्याय व्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण तारीख है, क्योंकि तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गए हैं। 1 जुलाई 2024 से पहले भारतीय दंड संहिता 1860 व कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर 1973 व इंडियन एविडेंस एक्ट 1872 के कानून लागू थे। जो ब्रिटिश सरकार के समय या ब्रिटिश सरकार दवारा बनायीं गयी व्यवस्था थी। जिसका उद्देश्य अगर जिसका उद्देश्य अपराध और ग़लती दोनों ही सूरत मे सजा देना होता था । परन्तु भारत सरकार दवारा लागू किए गए 3 नए कानूनों के तहत सिर्फ दण्ड की व्यवस्था नहीं है।
इन तीनो कानूनो के दवारा जल्दी न्याय मिलने पर जोर दिया गया है। व तीनो नए कानून आज का समय, माहौल व आज के अपराधो को देखते हुए बनाए गए है। जैसे पहले ऑनलाइन अपराध कम होते थे। परन्तु अब ऑनलाइन अपराध यानि साइबर क्राइम मे एक दम तेज़ी देखी गयी है। जिसकी विस्तृत जानकारी एच सी जंगजीत पुलिस स्टेशन साइबर क्राइम हांसी व एडवोकेट अनिल वर्मा हांसी ने ग्रामीण परिवेश के लोगो को दी व उन्हें साइबर अपराध से सावधान रहने को कहा और इस बारे मे गाँव मेहँदा के सरपंच ने भी बताया की उनके पास भी ऐसा फेक कॉल साइबर फ्रॉड से सम्बंधित आये है और श्रीमती नीलम राय, सहायक जिला न्यायवादी ने बताया कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 मै कुछ नयी धाराए जोड़ी गयी है जैसे धारा 105 के तहत पुलिस घटना स्थल की ऑडियो वीडियो रिकॉर्डिंग करेगी और बिना किसी देरी के नजदीकी इलाका मजिस्ट्रेट के पेश करेगी या कोर्ट के इ-साक्ष्य ऐप पर अपलोड करेगी। देशभर में अपराध हर दिन बढ़ रह रहे थे. लेकिन अब कानून में बदलाव के बाद पुलिस ने बदमाशों पर नकेल कसना शुरू कर दिया है। नए कानून भारत और भारत के नागरिकों की स्थिति के अनुसार लाये गए है। न्यायालय को 45 दिनों के भीतर अपना निर्णय सुनाना होता है, लेकिन पहले इसके लिए समय निर्धारित नहीं था । इस अवसर गाँव मेहँदा के सरपंच विजेंदर सिंह, अन्य पंच व ग्रामीण मौजूद रहे। जिन्होंने इस विषय को बड़ी गंभीरता से सुना व अपने प्रश्नों के उत्तर भी विशेषज्ञ से जाने।