कांग्रेस व भाजपा की टिकट को लेकर वैश्य समाज में रोष
बगवात कर निर्दलीय प्रत्याशी का समर्थन कर पार्टीयो का गणित बिगड़ सकते हैं वैश्य
चंडीगढ़। भाजपा द्वारा वैश्य समाज को पहली सूची में 67 में से केवल 5 सीट देने के बावजूद वैश्य समाज के लोगों में गहरा रोष है क्योंकि पिछले चुनाव में इन 67 में से 9 सीटों पर वैश्य समाज के उम्मीदवार चुनाव लड़े थे उनकी चार सीटें काटने के विरोध में वैश्य समाज एकजुट होकर खड़ा हो गया है तथा उन लोगों के निर्दलीय चुनाव लड़ने पर उन्हें समर्थन देने का भी ऐलान कर दिया है। ऐसे में कांग्रेस की पहली सूची में 32 टिकटों में से समाज का एक भी व्यक्ति नहीं होने और शेष बची 58 सीटों में से केवल चार या पांच पर वैश्य समाज के उम्मीदवारों को पार्टी द्वारा मैदान में उतारने की संभावनाओं को देखते हुए वैश्य समाज के लोगों में भारी रोष व्याप्त हो रहा है।
जानकारी के अनुसार कांग्रेस जींद, हिसार, पानीपत ग्रामीण, फरीदाबाद में वैश्य समाज के उम्मीदवारों को मैदान में उतारने पर अपनी सहमति जता रही है। दूसरी ओर समाज भिवानी, हांसी, करनाल, अंबाला शहर, पंचकूला की सीट पर भी अपना मजबूत दावा कर रहा है।
अगर कांग्रेस ने वैश्य समाज को भाजपा से कम सीटों पर टिकट दी तो कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में नुकसान उठाना पड़ सकता है। वैश्य समाज ने पहले ही ऐलान कर रखा है कि जो पार्टी उन्हें अधिक टिकट देगी वह उसके साथ खड़े होंगे। यहां बता दें कि हरियाणा में वैश्य समाज का करीब 8% वोट बैंक है और यह 16 सीटों पर हार जीत को तय करने का काम करता है। कांग्रेस जहां विधानसभा चुनाव में अपनी सरकार बनाने का सपना देख रही है वहां अगर उसे यह 8% वोट का नुकसान होता है तो उसका यह सपना टूट भी सकता है। हालांकि अग्रवाल वैश्य समाज के प्रवक्ता सुमित गर्ग हिन्दुस्तानी का कहना है कि वह अभी टिकटों का अंतिम समय तक इंतजार करेंगे और जब राज्य की सभी टिकट विशेष रूप से भाजपा, कांग्रेस व आम आदमीं पार्टी की घोषित कर दी जाएंगी उसके बाद कोई फैसला करेंगे।
राज्य में इस समय व्यापारी वर्ग सरकार से नाराज है और कांग्रेस वैश्य समाज को अधिक टिकट देकर अपने साथ जोड़ने का काम कर सकती है। विपरीत परिस्थितियों में वैश्य समाज सरकार से सुरक्षा का भरोसा मिलने पर भाजपा के साथ खड़ा होने में देर नहीं लगाएगा। आने वाले एक-दो दिन प्रदेश की राजनीति में विशेष कर वैश्य समाज की राजनीति में महत्वपूर्ण होने वाले हैं। भाजपा भी टिकटों में बंटवारे के बाद हुई बगावत से परेशान होकर कुछ टिकट बदलने पर विचार कर रही है और उम्मीद की जा रही है कि कम से कम दो टिकट और वैश्य समाज के लोगों को भाजपा से मिल सकती हैं।