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सेवानिवृत पत्रकारों की पेंशन आयु 55 साल की जाए : गुरुदत्त गर्ग

एमडब्ल्यूबी ने कैबिनेट मंत्री मूलचंद शर्मा को सौंपा ज्ञापन

चंडीगढ़,(राणा) । मीडिया वेलबिंग एसोसिएशन की पलवल और फरीदाबाद जिला की इकाई ने जिला अध्यक्ष गुरुदत्त गर्ग के नेतृत्व में हरियाणा के कैबिनेट मंत्री मूलचंद शर्मा को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। इस दौरान एमडब्ल्यूबी के शिष्ट मंडल ने कैबिनेट मंत्री को पत्रकारों के समक्ष आने वाली दिक्कतों के अलावा एसोसिएशन की ओर से उनके हित के लिए किए जा रहे कामों की जानकारी भी दी।

कैबिनेट मंत्री को सौंपे गए ज्ञापन में कहा कि सरकार की ओर से पत्रकारों को दी जाने वाली पेंशन में कईं नियम बनाए गए है। इतना ही नहीं इनमें पत्रकारिता के अनुभव के साथ मान्यता प्राप्त होना भी शामिल है। उन्होंने ज्ञापन के जरिए मांग की कि इन नियमों में बदलाव करते हुए 20 साल तक लगातार पत्रकारिता करने वाले हर पत्रकार को पेंशन देने की मांग की। उन्होंने कहा कि अधिकतर पत्रकार आर्थिक रूप से संपन्न नहीं होते हैं। ऐसे में सरस्वती का ज्ञान रखने वाले और दुनिया को हर सच्चाई से अवगत करवाने वाले पत्रकारों के पास हमेशा ही लक्ष्मी का अभाव रहता है। वृद्धा अवस्था में तो उन्हें काफी कठिनाई आती है। इसलिए सरकार को चाहिए कि वह 20 वर्ष तक लगातार पत्रकारिता करने वाले हर पत्रकार को पेंशन प्रदान करें।

मुख्यमंत्री के नाम सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया कि पेंशन के लिए पत्रकारों की आयु सीमा को कम कर 60 की बजाए 55 वर्ष किया जाना चाहिए। साथ ही हरियाणा में मान्यता प्रदान करने वाले नियमों का सरलीकरण किया जाए, जिससे ज्यादा से ज्यादा पत्रकारों को मान्यता मिल सके। साथ ही मासिक पत्रिका निकालने वाले संस्थानों से अधिकृत पत्रकारों को CA के सर्टिफिकेट पर मान्यता दी जानी चाहिए।

मीडिया वेलबिंग एसोसिएशन को पंचकूला में प्रेस क्लब चंडीगढ़ की तर्ज पर मुख्यालय बनाने के लिए एक कनाल का प्लाट दिया जाए। इसके साथ ही पत्रकारों को टोल फ्री सुविधा भी दी जाए। उन्होंने कहा कि जब देश में लोकतंत्र के तीन स्तंभों को टोल टैक्स पर छूट है तो फिर चौथा स्तंभ कहलाए जाने वाले मीडिया को भी इसमें छूट मिलनी चाहिए।

हरियाणा रोडवेज की ओर से मान्यता प्राप्त पत्रकारों को प्रतिवर्ष 4 हजार किलोमीटर की यात्रा का लाभ दिया जाता, जिसे असीमित किया जाना चाहिए, क्योंकि अनेक बार पत्रकारों को अपने संस्थान के मुख्यालय या फिर प्रदेश की राजधानी चंडीगढ़ आना-जाना पड़ता है। ऐसे में यह किलोमीटर की बंदिश खत्म होनी चाहिए।

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