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सोनीपत की कवयित्री डॉ. राजकला देशवाल के ‘उजली राहें’ नामक कविता संग्रह के साथ 2 और पुस्तकों का लोकार्पण किया

Released 2 more books with poetry collection titled 'Ujli Rahein' by Dr. Rajkala Deshwal, a poetess of Sonipat

चंडीगढ़, 25 अगस्त- हरियाणा साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ.चन्द्र त्रिखा ने आज अकादमी परिसर में तीन पुस्तकों का लोकार्पण किया। सुप्रसिद्ध साहित्यकार एवं केन्द्रीय साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष श्री माधव कौशिक के सान्निध्य में संपन्न हुए इस लोकार्पण कार्यक्रम में अकादमी के ‘महाकवि सूरदास सम्मान’ से सम्मानित सोनीपत के साहित्यकार डा.सन्तराम देशवाल की ‘इक्कीसवीं सदी के ललित निबन्ध’ और ‘हरियाणवी लोक साहित्य में कडक़ा विधा’ नामक दो पुस्तकों का विमोचन किया गया। साथ ही, सोनीपत की कवयित्री डॉ. राजकला देशवाल के ‘उजली राहें’ नामक कविता संग्रह को भी लोकार्पित किया गया।

डॉ. चन्द्र त्रिखा ने दोनों साहित्यकारों को इन पुस्तकों के सामयिक लेखन के लिए अकादमी परिवार की तरफ से बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह बेहद खुशी की बात है कि कोरोना जैसी महामारी के दौरान भी हरियाणा के लेखकों की लेखनी लगातार चलती रही है,जिससे साहित्य जगत को ऐसी उत्कृष्ट पुस्तकें मिल रही हैं।

उन्होंने बताया कि हरियाणा में ललित निबंधों का भी सृजन हो रहा है,जिसकी बानगी डा. देशवाल के इस अनूठे ललित निबंध संग्रह में देखी जा सकती है,जिसमें इक्कीसवीं सदी की विसंगतियों की परतें खोलते पच्चीस सामयिक ललित निबंध हैं।

वहीं, डा. देशवाल ने लोक साहित्य के क्षेत्र में पहली बार अपनी दूसरी पुस्तक में लोक कडक़ा जैसी अनामित एवं अस्फुटित लोक विधा को परिभाषित करके इसका स्वरूप निर्धारित करके साठ विरले लोक कडक़ों को संग्रहित करने का महती काम भी किया है।

उधर, डॅा. राजकला ने अपने काव्य संग्रह में अपनी अ_ासी खूबसूरत कविताओं का गुलदस्ता प्रस्तुत किया है। डॉ. राजकला ने अपने कविता संग्रह में प्रदूषण, भ्रष्टाचार एवं मानवीय मूल्यों में पतन जैसे समसामयिक विषयों को अभिव्यक्ति प्रदान की है।

इस लोकार्पण कार्यक्रम में डा. विजेन्द्र, श्रीमती मनीषा ,अमित दहिया,रेखा दहिया, संजय आदि विद्वानों की उपस्थिति रही।

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