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हिंसा ना बाबा ना ! हाथ बांध कर संसद कूच करेंगे किसान ?

Violence, no Baba No ! Will farmers travel to Parliament with their hands tied?

लिख लिख पाती हारे किसान अब एक बार फिर संसद पर प्रदर्शन की योजना बना रहे हैं l प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी भेजने के बाद भी सरकार से बातचीत का रास्ता नहीं खुल रहा है। इससे किसानों का गुस्सा बढ़ने लगा है और किसान संसद कूच की तैयारी कर रहे हैं। संसद कूच के दौरान किसी भी तरह की हिंसा की आशंका को निर्मूल करने के लिए अब किसान हाथ बांधकर संसद तक मार्च करेंगे। हालांकि किसानों ने अपना अंतिम निर्णय नहीं लिया है l लेकिन आंदोलन में सभी किसान संगठन संसद कूच पर मंथन कर रहे हैं l

संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य गुरनाम सिंह चढूनी ने सोशल मीडिया पर वीडियो जारी करके किसानों व आम लोगों से सुझाव मांगा है तो आंदोलन को बढ़ाने के लिए अन्य सुझाव भी देने की अपील की। इस तरह आंदोलन को तेज करने के लिए किसान अब बड़े फैसले ले सकते हैं, जिसके लिए जल्द संयुक्त मोर्चा की बैठक की जाएगी।

कृषि कानून रद्द करने की मांग को लेकर कुंडली बॉर्डर पर चल रहे किसानों के धरने को सात महीने हो गए हैं। इस बीच किसानों व सरकार के बीच 11 दौर की बातचीत हो चुकी है तो गृहमंत्री अमित शाह भी किसानों से वार्ता कर चुके हैं। इसके बावजूद कोई हल नहीं निकल सका और पांच महीने से बातचीत बंद है।

बातचीत को शुरू करने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा ने पहल करते हुए करीब एक महीना पहले पीएम नरेंद्र मोदी को चिट्ठी भेजी लेकिन उसके बावजूद बात नहीं बनी। इससे किसानों का गुस्सा बढ़ रहा है और अब मानसून सत्र के दौरान संसद मार्च की तैयारी की जा रही है। हालांकि पहले भी संयुक्त किसान मोर्चा दो बार संसद मार्च का एलान कर चुका है।

एक फरवरी को संसद मार्च का फैसला दिल्ली में ट्रैक्टर मार्च में बवाल के बाद निरस्त करना पड़ा तो मई में संसद मार्च करने के फैसले को हिंसा की आशंका के कारण निरस्त किया गया था। इसको लेकर संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं में आपसी खींचतान भी हुई थी तो संसद मार्च निरस्त करने पर युवाओं ने हंगामा भी किया था। लेकिन अब संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा है कि हर कोई संसद मार्च चाहता है और किसी तरह की हिंसा नहीं हो, उसको रोकने के लिए रस्सी से हाथ बांधकर संसद मार्च किया जाए।

हाथ बांधकर मार्च करने वालों को साथी समझा जाएगा और हाथ नहीं बांधने वालों को बाहरी लोग माना जाएगा। इस तरह अगर किसानों को पुलिस रोकती है और किसी तरह का बल प्रयोग करती है, तब भी किसी तरह की हिंसा नहीं हो सकेगी। इसको लेकर गुरनाम सिंह चढूनी ने सुझाव भी मांगे हैं, जिससे संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में बात रखकर इस पर फैसला लिया जा सके।

 

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