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आर्थिक पैकेज- हरियाणा की 50 हजार एमएसएमई यूनिटों को 3 हजार करोड़ का लाभ मिलेगा: मनोहर लाल

चंडीगढ़, 13 मई- हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा आज एमएसएमई के लिए घोषित आर्थिक पैकेज के पहले चरण में तीन लाख करोड़ रुपये की राशि का कोलैट्रल फ्री ऋण के लिए निर्धारित किए जाने से आशा है कि इससे हरियाणा की लगभग 50 हजार एमएसएमई यूनिटों को लगभग 3 हजार करोड़ रुपये का लाभ मिलेगा। इसी प्रकार, श्रीमती निर्मला सीतरमण ने तनावग्रस्त (स्ट्रैस्ड) एमएसएमई के लिए 20 हजार करोड़ के सर्बोडिनेट लोन की भी घोषणा की है, इससे हरियाणा की तीन हजार एमएसएमई युनिटों को फायदा होगा।

मुख्यमंत्री आज लाइव टीवी के माध्यम से प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि एमएसएमई के लिए किए गए आर्थिक पैकेज की घोषणा का यह पहला चरण है आने वाले 2 दिनों में चरणबद्ध तरीके से और भी जानकारियों केंद्र सरकार की ओर से राज्यों को उपलब्ध करवाई जाएंगी। उन्होंने कहा कि यह प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के देश को आत्म निर्भर बनाने की कड़ी की एक नई शुरुआत है। इसके लिए मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री का आभार भी व्यक्त किया।

उन्होंने कहा कि गेहूं व सरसों की खरीद को विपक्षी पार्टियां बेवजह मुद्दा बना रही हैं। उनके स्वयं के कार्यकाल के दौरान तो सरकारी खरीद कभी सुचारू रूप से हुई नहीं। उन्होंने कहा कि अब तक गेहूं के लिए 2000 करोड़ रुपये की राशि पूल अकाउंट के माध्यम से आढ़तियों के खाते में पहुंचा दी गई है और आज शाम तक 3900 करोड़ रुपये और डाल दिए जाएंगे। आई फार्म जारी होने के बाद आढ़ती द्वारा 2-3 दिनों में किसानों के खाते में डाल दी जाएगी। यह किसान व आढ़ती के बीच आपसी सहमती होती है।
उन्होंने कहा कि खरीद प्रक्रिया को ‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा’ से जोड़ कर ई-खरीद बनाया गया है। इस नई प्रक्रिया को बनाने में थोड़ा समय जरूर लगा, परंतु इससे पूरी पारदर्शिता आई है। उन्होंने कहा कि कोरोनो महामारी के चलते अतिरिक्त खरीद केंद्र बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि फसल खरीद के पाँच-छ: दिन में किसानों के खातों में पैसा चला जाता है। इस प्रकार, ज्यों-ज्यों आई-फार्म सृजित होंगे त्यों-त्यों अदायगी होती रहेगी। उन्होंने कहा कि सरसों की खरीद हैफेड के माध्यम से की जाती है और अब तक लगभग 1200 करोड़ रुपये किसानों के खातों में पहुंच गए हैं।

उन्होंने कहा कि लॉकडाउन अवधि के दौरान जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार ने ‘मेरा पानी मेरी विरासत’ नई योजना शुरू की है और धान बाहुल्य क्षेत्रों, जहां पानी का स्तर 40 मीटर से नीचे चला गया है, वहां किसानों से अपील की गई है कि वे 50 प्रतिशत हिस्से में धान न लगाएं और इसकी एवज में उन्हें 7 हजार रुपये प्रति एकड़ की दर से प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। उन्होंने कहा कि पानी को हमें भावी पीढ़ी के लिए सुरक्षित करना है। उन्होंने कहा कि धान के स्थान पर उगाई जाने वाली मक्का व दलहन फसलों की सरकारी खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य  पर की जाएगी।

सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से व्यवस्थाओं में पारदर्शिता लाने व भ्रष्टïाचार पर रोक लगाने को उनकी सरकार की प्राथमिकता बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान भी लगभग 20 हजार लोकल कमेटियों के माध्यम से घर-घर सर्वे करवाया गया है और मुख्यमंत्री परिवार समृद्धि योजना के तहत 16 लाख 20 हजार परिवारों के खाते में 3 से 5 हजार रुपये प्रति परिवार की वित्तीय सहायता पहुंचाई गई है। इस प्रकार, 619 करोड़ रुपये की सहायता पहुचाई गई है। लगभग 4 से 5 लाख और परिवारों को सहायता पहुंचाने की प्रक्रिया चल रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि लॉकडाउन के बाद चरणबद़ध तरीके से औद्योगिक एवं आर्थिक गतिविधियां केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुरूप पुन: संचालित की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि प्रवासी मजदूरों को उनके मूल राज्य में भेजने की व्यवस्था भी प्रदेश सरकार द्वारा की गई है। अब तक रेल गाडिय़ों और बसों के माध्यम से लगभग एक लाख लोगों को भेजा जा चुका है। इसके लिए जहां मजदूर जाना चाहता है, उस राज्य से भी अनुमति आनी आवश्यक होती है, उसके बाद ही प्रवासी मजदूरों को भेजने की व्यवस्था की जाती है।

उन्होंने कहा कि कुछ चुने हुए मार्गों पर स्पेशल बस सेवा शुक्रवार से शुरू करने का निर्णय लिया है। अभी बसें हरियाणा से बाहर या कोरोना वायरस से प्रभावित क्षेत्रों में नहीं जाएंगी।
लॉकडाउन की अवधि बढऩे के संबंध में एक पत्रकार द्वारा पूछे गए प्रश्न के उत्तर में मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड-19 एक संक्रमण रोग है, इससे बचाव के लिए सोशल डिस्टेंसिंग के साथ-साथ सभी प्रकार की सावधानियां बरती जा रही हैं। उन्होंने कहा कि कुछ जरूरी हिदायतों के साथ हमने केंद्र सरकार से शैक्षणिक संस्थानों को फिर से खोलने की अनुमति देने का भी आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने कहा है कि अब कंटेनमेंट जोन की परिभाषा को बदल दिया गया है और अब कंटेनमेंट जोन छोटे होंगे जबकि अन्य सभी क्षेत्रों को गतिविधियों के लिए खोल दिया जाएगा ताकि लोग सोशल डिस्टेंसिंग के मानदंडो का पालन करने के साथ-साथ सैनेटाइजेशन जैसी सभी सावधानियां बरतते हुए काम पर लौट सकें। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के फैलाव को रोकने के लिए जिला-केंद्रित योजनाओं को तैयार करने के लिए टीमों का गठन किया गया है।
एक अन्य प्रशन के उत्तर में उन्होंने कहा कि कुछ प्रवासी मजदूर जो अपने गृह राज्यों में जाने के लिए हरियाणा से होकर गुजर रहे हैं, ऐसे मजदूरों को हम रोक रहे हैं और उन्हें रिलीफ कैंपों में रख रहे हैं, जहां उनके रहने व खाने-पीने की पूर्ण व्यवस्था की जा रही है तथा चरणबद्ध तरीके से ऐसे प्रवासी मजदूरों को भेजने की व्यवस्था की जा रही है।

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